Saturday, August 29, 2020

ऑपरेटिंग सिस्‍टम क्‍या है ?- What is Operating System in Hindi.

Operating System

एक Computer सिस्‍टम को ऑपरेट करने के लिए Operating System का होना आवश्‍यक है|ऑपरेटिंग सिस्‍टम ऐसा पहला Software है जो Computer स्‍टार्ट होने के बाद लोड होता है|ऑपरेटिंग सिस्‍टम Computer सिस्‍टम की बुटिंग प्रासेस के लिए अत्‍यंत आवश्‍यक Software है|यह न केवल Computer सिस्‍टम की बुटिंग प्रासेस के लिए बल्कि दूसरे एप्‍लीकेशन Software और यूटिलिटी Software को Computer पर चलाने के लिए भी आवश्‍यक है|ऑपरेटिंग सिस्‍टम एक सिस्‍टम Software है|ऑपरेटिंग सिस्‍टम के बिना Computer को ऑपरेट करना असंभव है|पहले Disk Operating System(DOS) का उपयोग किया जाता था|डिस्‍क ऑपरेटिंग सिस्‍टम के निर्माता कंपनी ने अमेरिका के DOS Software Microsoft मे विंडोज का निर्माण किया|य‍ह विंडोज, DOS से बिल्‍कुल अलग था|डिस्‍क ऑपरेटिंग सिस्‍टम मे कमांड को ध्‍यान मे रख कर कार्य किया जाता था तथा विंडोज मे मेनू आइकॉन आदि के द्वारा कार्य किया जाता है|यह यूज़र को ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस की सुविधा प्रदान करता है|विंडोज मे मल्‍टीप्‍ल एप्‍लीकेशन एक-दूसरे से सुरक्षित होते है|विंडोज मे ऑब्‍जेक्‍ट के डेटा का अदान-प्रदान किया जाता है|विंडोज के इंटरफेस को बहुत सरल बनाया गया है ताकि इसका उपयोग टेबलेट तथा टच स्‍क्रीन मे भी किया जा सके|ऑपरेटिंग सिस्‍टम एक Computer यूज़र और Computer हार्डवेयर के बीच एक इंटरफेस है|यह Software फाइल मैनेजमेंट, मेमोरी मैनेजमेंट, प्रासेस मैनेजमेंट, हैडलिंग इनपुट और आउटपुट जैसे सभी महत्‍वपूर्ण कार्यो को करता है|एक ऑपरेटिंग सिस्‍टम Computer सिस्‍टम पर सभी हार्डवेयर और Software को मैनेज करता है|ऑपरेटिंग सिस्‍टम य‍ह निर्धारित करता है कि कौन सा प्रोग्राम कब रन होगा और कितन समय के लिए रन होगा|ऑपरेटिंग सिस्‍टम के बिना Computer Useless है| 

ऑपरेटिंग सिस्‍टम के कार्य-

ऑपरेटिंग सिस्‍टम फाइल मैनेजमेंट, मेमोरी मैनेजमेंट, प्रासेस मैनेजमेंट, हैडलिंग इनपुट और आउटपुट जैसे सभी महत्‍वपूर्ण कार्यो को करता है| सिस्‍टम के कुछ मुख्‍य कार्य निम्‍नलिखित है|

1). Process Management = प्रासेस मैनेजमेंट ऑपरेटिंग सिस्‍टम के मल्‍टीपल प्रासेस को मैनेज करने का तरीका है चॅूकि अधिकतर Computer मे एक साथ कई प्रासेस होती है|अत: मल्‍टीटास्किंग प्रासेस को तेजी से स्विच करके की जाती है|यह कई तरह की प्रासेस को मैनेज करता है जैसे- मल्‍टीटास्किंग, बैच प्रोसेसिंग, मल्‍टीप्रोग्रामिंग इत्‍यादि|ऑपरेटिंग सिस्‍टम के अनुसार जैसे-जैसे ज्‍यादा प्रासेस रन होती है तो टाइम कम हो जाता है या प्रासेस को रन होने मे अधिक समय लगता है|प्रासेस मैनेजमेंट मे CPU टाइम की गणना तथा वितरण और अन्‍य Resources शामिल है|अधिकतर ऑपरेटिंग सिस्‍टम प्रासेस को एक Priority असाइन करते है जो CPU, टाइम एलोकेशन को प्रभावित करती है|इंटरक्टिव ऑपरेटिंग सिस्‍टम मे कुछ स्‍तर पर फीडबैक भी शामिल है जिनमे उन कार्यो को हायर Priority दी जाती है जिसमे यूज़र कार्य कर रहा है|

2). Memory Management = मेन मेमोरी मे बाइट्स की लार्ज लेआउट होती है|प्रत्‍येक बाइट मे अपना स्‍वंय का एड्रेस होता है तो ऑपरेटिंग सिस्‍टम यह निर्णय लेता है कि मेमोरी के किस भाग का उपयोग करना है और किस भाग का उपयोग नही करना है| मेन मेमोरी इनपुट आउटपुट डिवाइसCPU के द्वारा विभाजन करता है|य‍ह किसी प्रोग्राम या डेटा के लिए प्राइमरी तथा सेकंडरी मेमोरी को विभाजित करता है| यह सेंट्रल प्रोसेसर, मेन मेमोरी से निर्देश टाइम को लिखता है|मेन मेमोरी मे सिर्फ एक ही डिवाइस होती है इसलिए मेन मेमोरी के द्वारा आवश्‍यक डेटा सी पी यू को ट्रांसफर किया जाता है|निर्देश सी पी यू के लिए एक्‍ज़़ीक्‍सूसन के लिए आवश्‍यक होता है|जब प्रोग्राम Execute होता है तब मेमोरी से डेटा एंव निर्देश प्रोग्राम तक पहुच जाते है|प्रोग्राम एक्‍ज़़ीक्‍सूसन समाप्‍त होने के बाद मेमोरी स्‍पेस मे प्रोग्राम की उपलब्‍धता घोषित हो जाती है फिर अगले प्रोग्राम को लोड कर देते है|मेमोरी मे प्रोग्राम की दक्षता सुधारने के लिए कुशल मेमोरी मैनेजमेंट स्‍कीम का उपयोग करना चाहिए|

3). File Management = फाइल मैनेजमेंट ऑपरेटिंग सिस्‍टम की महत्‍वपूर्ण सुविधा है, फाइले सामान्‍यत: Floppy Disk, हार्ड डिस्‍क, मैग्‍नेटिक टेप आदि पर स्‍टोर की जाती है|ऑपरेटिंग सिस्‍टम किसी भी प्रकार के डाटा या प्रोग्राम को किसी भी फाइल मे स्‍टोर करता है|किसी ऑपरेटिंग सिस्‍टम एनवायरमेंट मे फाइल निमार्ण करते समय या उसका उपयोग करते समय यूज़र इन डिवाइस के फीचर्स को नही जानता है|फाइल Mapping फाइल मैनेजमेंट द्वारा की जाती है|फाइल मैनेजमेंट यूजर्स को फाइल Manipulation के सभी डिवाइस आधारित पहलूओ से अनजान रखता है|सामान्‍यत: फाइले बिट्स, बाइटस या रिकार्ड्स के क्रम मे दिखाई देती है|कुछ सिस्‍टम फाइल मैनेजमेंट और इनपुट आउटपुट डिवाइस मैनेजमेंट दोनो के लिए फाइ प्रयोग के समान फीचर्स का सपोर्ट करते है| इस फीचर्स को डिवाइस इंडिपेंडेंस कहा जाता है|

4). Booting Process = जब हम Computer का स्विच On करते है |Computer सिस्‍टम को On होने से लेकर डेस्‍कटॉप विंडो ओपन होने तक जो प्रोसेस चलती है वह बूंटिग प्रोसेस कहलाती है|बूंटिग एक बूटस्‍ट्रैपिंग प्रोसेस है जो ऑपरेशन प्रोसेस को उस समय स्‍टार्ट करता है जब यूज़र अपना Computer स्विच करता है|बूट सीक्‍वन्‍स् उन ऑपरेशन का सेट होता है जिन्‍हे Computer तब समाप्‍त करता है जब Computer स्‍टार्ट होता है जिसके कारण ऑपरेटिंग सिस्‍टम लोड होता है|

बूंटिग प्रोसेस दो प्रकार की होती है-

1. Cold Booting
2. Warm Booting

1. Cold Booting = कोल्‍ड बूट को हार्ड बूट भी कहा जाता है | कोल्‍ड बूट का मतलब Computer को On करना होता है | य‍ह वार्म बूट के विपरीत कार्य करता है | Computer की पावर बटन को दबाकर कोल्‍ड बूट किया जाता है|

2. Warm Booting = वार्म बूट को Soft बूट भी कहा जाता है | वार्म बूट का मतलब Computer को Restart करना होता है | Computer की Restart बटन को दबाकर वार्म बूट किया जाता है|


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